stock market में आम तौर पर स्टॉक्स या शेयर्स को काम दामों में खरीदा जाता है और ज़्यादा दामों में बेचा जाता है पर हर बार ऐसा नहीं होता होता है कुछ निवेशक शेयर्स या स्टॉक्स को ज़्यादा दामों में खरीद कर सस्ते दामों में भी बेचते है और इस प्रक्रिया को short selling कहते हैं।
जब कई बार ट्रेडर को लगता है कि स्टॉक मार्किट या शेयर के प्राइस नीचे जाने वाले हैं तो वह ब्रोकर से कुछ शेयर्स उधार ले लेते हैं उनको बेच देते हैं और जब उस शेयर के प्राइस नीचे जाते हैं तो उन शेयर्स को पुनः खरीद लिया जाता है जिनसे उनको मुनाफा हो जाता है।

What is Short Selling (शॉर्ट सेलिंग क्या है)?
जब कोई ट्रेडर किसी ब्रोकर से कुछ स्टॉक उधर लेता है जिसका उसको कुछ ब्याज या मूल्य नहीं देना होता है उसको वह शेयर्स या स्टॉक कुछ समय के बाद वापिस देना होता है। इसी प्रक्रिया में उसको कुछ मुनाफा होता है इसी को short selling कहा जाता है। उदाहरण के लिए अगर किसी शेयर का मूल्य 50 रुपये है और आप उसके 500 शेयर्स लेते हैं जिसका मूल्य 25000 रूपये है। और थोड़े समय के बाद उन्ही शेयर्स का मूल्य गिर कर 40 रूपए रह गया और आप वह शेयर उस ब्रोकर को वापिस कर देते हैं जिसका मूल्य 20000 रूपए हुआ।
आपने शेयर्स उधार लेकर 25000 रूपये के बेचे थे और वही शेयर्स का मूल्य गिरने पर वही शेयर्स 20000 रुपये में खरीदकर उस ब्रोकर को वापिस कर दिए इसमें आपको मुनाफा हुआ 5000 रुपये जिसमे से आपको ब्रोकर को फीस या कमीशन देना होगा उसके बाद जो पैसा बचा है वह आपका मुनाफा होगा।
Short selling में नुक्सान की संभावना भी काफी रहती है है। अगर आप ने जो शेयर 50 रुपये में ख़रीदा था और उसका मूल्य बढ़ कर 60 रुपये हो गया है तो यह आपको नुकसानदायक होता है जैसे आपने 25000 में शेयर्स बेचे थी और अब उतने शेयर्स की कीमत 30000 रूपए हो गयी तो इससे आपको 5000 रूपये का नुक्सान उठाना पड़ा।
Short Selling कैसे काम करती है ?
शार्ट सेलिंग के बारे में हमने ऊपर विस्तृत चर्चा की है जिससे आपको पता चल गया होगा कि शार्ट सेलिंग होती क्या है ? अब इसके काम करने के बारे में जानेंगे। इसके लिए कुछ चरणों की आवश्यकता जिसकी सहायता से हम शार्ट सेलिंग कर सकते हैं।
- Margin Account (मार्जिन अकाउंट ): Short Selling के लिए आपको मार्जिन अकाउंट की आवश्यकता होती है जो आप को शेयर्स उधार लेने में सहायता करता है।आपके अकाउंट में डिपॉजिट होना चाहिए और आप उस के के हिसाब से ब्रोकर से उधार ले सकते हैं। जैसे आप के अकाउंट में 5000 रुपये हैं तो आप 5000 रुपये तक उधार ले सकते हैं। आप कुल 10000 रूपये तक के शेयर्स खरीद सकते हैं।
- Make your goal ( अपना लक्ष्य बनाएं ): मार्जिन अकाउंट बनाने के बाद आपको अपना लक्ष्य बनाना होगा कि आपको कौनसा स्टॉक चुनना है जो आपको लगता है कि यह अपने मूल्य से अधिक है जो आगे जाकर सस्ता होगा। और आप वह शेयर्स या स्टॉक खरीद लेते हैं।
- Borrow the shares ( शेयर्स उधार लें ): आपके पास अपने शेयर्स नहीं है तो आप शेयर्स उधार ले सकते हैं। शेयर्स को उधार लेने के लिए आपका ब्रोकर अपने पास से या फिर किसी अन्य निवेशक के पास लेकर देता है इसके लिए आपको कुछ शुल्क देना पड़ता है।
- Sell Shares (शेयर्स बेचना ): शेयर्स उधार लेने के बाद आप उन शेयर्स को बाजार के वर्तमान मूल्य पर बेच देते हैं। और उनसे नकद धन प्राप्त कर लेते हैं। जो आपके मार्जिन अकाउंट में जमा हो जाता है।
- Wait (प्रतीक्षा करें ): जब आप शेयर बेच देते हैं उसके बाद आपको शेयर्स के के मूल्य में गिरावट आने की प्रतीक्षा करनी होगी। आपको उस स्टॉक की निगरानी रखनी होगी जिससे आप उनको पुनः खरीद सकें।
- Buy Shares (शेयर खरीदें ): जब शेयर्स का मूल्य गिर जाता है या फिर आपको शेयर मज़बूरी में खरीदने पड़ते है। आपको उतने ही शेयर वापिस करने पड़ते हैं जितने आपने ने उधार लेकर बेचे थे। अगर उनका मूल्य नीचे है तो आपको मुनाफा होगा और अगर मूल्य बढ़ गया है तो आपको नुक्सान होगा।
Who are short sellers (शार्ट सेलर कौन होते हैं)?
आपने short selling के बारे में ऊपर विस्तृत जानकारी प्राप्त की है। अब आपके मन में सवाल आएगा कि short selling करता कौन है ? अब आप जानेंगे शार्ट सेलर कौन होते है जो शार्ट सेलिंग करते हैं।जो शेयर्स पर दांव लगाते हैं कि स्टॉक का मूल्य गिरेगा और मुनाफा कमा सकते हैं। कुछ शार्ट सेलर के नाम नीचे दिए गए हैं :-
- Hedge Funds (हेज फंड्स )
- Professional ट्रेडर (पेशेवर व्यापरी )
- Retail Trader (खुदरा व्यापारी )
- Activist Short Seller (एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर)
Advantages and Disadvantages of Short selling.
शार्ट सेलिंग एक बहु बढ़िया वित्तीय रणनीति है जिससे अच्छा पैसा कमाया जा सकता है पर जहां पर इसमें काफी फायदा है वहीँ पर इसका बहुत ज़्यादा नुक्सान भी हो सकता है। जिनकी चर्चा अब हम कर रहे हैं।
फ़ायदे | नुक्सान |
जब बाजार का मूल्य गिर रहा होता है तो वहां पर मुनाफा कमाया जा सकता है। | शार्ट सेलिंग में बहुत ज़्यादा नुक्सान हो सकता है अगर निवेश अनुभवी या विशेषज्ञ नहीं होते हैं। |
जब निवेशक के पोर्टफोलियो घाटे में जाने लगते है तो वह मंदी से बचने के लिए शार्ट सेलिंग करते हैं। | कई बार स्टॉक का मूल्य अचानक से बढ़ जाता है जिससे उतनी मात्रा में शेयर खरीदना काफी नुक्सानदायक साबित होता है। |
जिन शेयर्स का मूल्य अत्यधिक(overvalued ) होता है शार्ट सेलर उन को खरीदते हैं जिनसे उनको फायदा होता है। | जो निवेशक शेयर उधार लेते हैं उनकी फीस और ब्याज देना पड़ता है जो काफी महंगा साबित होता है। |
शार्ट सेलिंग से स्टॉक्स के मूल्य में तरलता(Liquidity ) आती है और सही मूल्य निर्धारित होता है। | आम तौर पर बाजार का रख बढ़ौतरी की और होता है जिससे शार्ट सेलिंग काफी खतरनाक साबित हो सकता है। |
निष्कर्ष
Short Selling स्टॉक मार्किट का एक अहम हिस्सा है चाहे यह विवादास्पद भी है। यह किसी स्टॉक के अधिकतम मूल्य को उजागर भी करता और उसको नीचे लाने में काफी सहायता करता है। हालांकि यह काफी लाभदायक होता है पर इसके साथ नुक्सान की सम्भावना भी काफी रहती है।
अगर आपको इस क्षेत्र में आना है तो इसमें बहुत ज़्यादा अनुभव होने की आवश्यकता होती है। जैसे -जैसे बाज़ारों का विकास होता रहेगा शार्ट सेलर के लिए काफी चुनौतिओं का सामना करना पड़ेगा। अंत में आपको यह अच्छे से शार्ट सेलिंग के बारे में ज्ञान होना अति आवश्यक है अन्यथा आपको बहुत बड़ा नुक्सान हो सकता है।
यह लेख सिर्फ जानकारी के लिए है। हम किसी को कोई वित्तीय सलाह नहीं देते हैं। अगर आपको किसी सलाह की आवश्यकता है तो आप किसी विशेषज्ञ व्यक्ति या संस्था की सेवाएं ले सकते हैं।